Wednesday, February 25, 2009

एंट्रेंस टेस्ट


हमारे देश के विश्वविद्यालय बहुत प्रसिद्ध है यहाँ का एंट्रेस टेस्ट बहुत मुश्किल है । कोई शूरवीर ही टिक पाता है वरना तो टै बोल देता है। काँलेज में घुसते ही उसे सीनियर घेर लेंगे । फिर आदेश देंगे 'पतलून उतारो' !…
'नहीं उतारता' ? एक ने आकर उसके गाल मरोड़ दिये ।
'क्या चिकना है' दूसरा सीनियर आगे बढ़ता है ,
'हाथ उपर कर' , हाथ उपर करते ही उसने पतलून की चैन खोल दी । नया विद्यार्थी रुआँसा हो गया ।
'अबे छोरियों की तरह क्यों रो रहा है , चल मुर्गा बन जा' वह मुर्गा बन जाता है , तीसरा सीनियर उस पर आकर बैठ जाता है । 'अबे बोल कूकड़ू कू' । चौथे ने उसकी जांघों से एक अण्डा निकाला , 'अरे दे दिया अण्डा' । सब हो - हो कर हँसने लगे । वे उसके शरीर से छेड़छाड़ करने लगे ।
वह अपमान झेल रहा था लेकिन अन्दर गुस्से का गुबार भी उठ रहा था उसका गुस्सा फूट पड़ा ।
'अबे हिजड़ों एक - एक कर आ जाओ फिर देखो क्या कचूमर बनाता हूँ
'तो ये बात है तुझे बोलना भी आता है' एक ने थप्पड़ रसीद किया दूसरे ने चुतड़ पर लात मारी । तीसरे ने एक माँ की अश्लील गाली दी । चारों ने उसे घेर लिया
'बोल क्या बोलता है' ? गुस्सा पता नहीं कहाँ गया। विद्या ये सब सिखाती है ! विद्या ददाति विनयम उसने आप्त वचन बोल दिया ।
'तेरा बाप क्या संस्कृत का मास्टर है' वे फिर हो - हो कर हँसने लगे ।
'चल माँफी मांग '। उसने माँफी मांगी
'चल फूट '। वह वहाँ से फूट गया । वह एंट्रेस पास हो गया ।

Saturday, February 14, 2009

प्रदीप कान्त की गज़लें


प्रदीप कान्त
22 मार्च 1968 को रावत भाटा (राजस्थान) में जन्म ।
अजमेर विश्व विद्यालय से गणित में स्नातकोत्तर के पश्चात भौतिकी में भी स्नात्तकोत्तर।
कथादेश, इन्द्रपस्थ भारती, सम्यक, सहचर, अक्षर पर्व आदि साहित्यिक पत्रिकाओं व दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण आदि समाचार पत्रों में गज़लें व गीत प्रकाशित।
प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्यरत
फोन: 0731 2320041
Email: kant1008@rediffmail.com, kant1008@yahoo.co.in



1
किसी न किसी बहाने की बातें
ले देकर ज़माने की बातें
उसी मोड़ पर गिरे थे हम भी
जहाँ थी सम्भल जाने की बातें
रात अपनी गुज़ार दें ख़्वाबों में
सुबह फिर वही कमाने की बातें
समझें न समझें हमारी मर्ज़ी
बड़े हो, कहो सिखाने की बातें
मैं फ़रिश्ता नहीं न होंगी मुझसे
रोकर कभी भी हँसाने की बातें

2
मोड़ के आगे मोड़ बहुत
रही उम्र भर दौड़ बहुत
द्वापर में तो कान्हा ही थे
इस युग में रणछोड़ बहुत
नियम एक ही लिखा गया
हुऐ प्रकाशित तोड़ बहुत
किसिम किसिम की मुखमुद्राएँ
धनी हुऐ हँसोड़ बहुत
अन्तिम सहमति कुर्सी पर
रहा सफल गठजोड़ बहुत
3


अपने रंग में उतर
अब तो जंग में उतर
सलीका उनका क्यों
अपने ढंग में उतर
दर्द को लफ़्ज़ यूँ दे
किसी के रंज में उतर
बदतर हैं हालात ये
कलम ले, तंज में उतर
अपने में ही गुम है
अपने दिले तंग में उतर

Thursday, February 5, 2009

अकबर महान








अकबर महान
भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रश्न है - अकबर को अकबर महान क्यों कहते हैं ? कारण सहित उत्तर लिखो इधर इतिहास की पुस्तकें पढकर विद्यार्थी इसका उत्तर कुछ इस तरह लिखते है।
प्रथम दृष्ट्या यह प्रश्न ही गलत है अकबर महान नहीं हो सकता इसके कई कारण है ,पहला और अत्यंत मह्त्वपू र्ण कारण यह है कि वह एक मुस्लिम शासक था उसके पूर्वज अन्य देशों से आए थे उन्होंने भारत को गुलाम बनाया था।
दूसरा कारण यह कि वह महाराणा प्रताप का नम्बर एक दुश्मन था महाराणा प्रताप परमवीर देशभक्त थे और ता-जिन्दगी अकबर से जूझ ते रहे महाराणा प्रताप हमारे राष्ट्रीय नेता है इस हिसाब से देखे तो महाराणा का दुश्मन कैसे महान हो सकता है
तीसरा कारण यह है कि वह बेपढा -लिखा था
चौथा कारण यह था कि वह साम्राज्यवादी था और उसे रात-दिन अपने साम्राज्य की चिंता थी साम्राज्यवादी कभी महान नहीं हो सकता।
वह एक तानाशाह था जिसने हुस्न की मलिका अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया ,वह सामाजिक न्याय का परम शत्रु था , गैर बराबरी का हिमायती , तभी तो कनीज अनारकली के साथ सलीम का निकाह नहीं करवाया
अन्तिम कारण यह है कि उसने कई शादियों रचवाई बादशाह सलामत ने अय्याशी करने और इमारतें बनवाने के अलावा कुछ नहीं किया ,इसलिए अकबर को महान शासक नहीं कहा जा सकता