Monday, March 25, 2013

पासा


सतीश दुबे

खाना लगा दूं
हूं !
मूड तो अच्छा है ?
हां !
स्मिता आजकल जिद नहीं करती ?
हूं !
अब बाजार भाव फिर बढने लगे हैं ।
हां !
पडोस के वर्माजी का बच्चा बहुत बीमार है ।
हूं !
थोडी मिठाई भी लीजिए ना !
ऊं-हूं !
नीता की शादी में  चलेंगे ना ?
हां-हां !
आपकी क्लास-फैलो कुमुद आई थी,बडी देर तक इंतजार करती रही---!

अच्छा? कब? कहां है आजकल?कैसीहै? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?बताओ,और क्या-क्या कहा उसने?

मैंने यह सब उससे पूछा था किन्तु वह हां -हूं करती रही ।

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प्रतिनिधि लघुकथाएं । 1976 । साहित्य संगम ,इंदौर