Wednesday, May 21, 2014

बहू का सवाल

बहू का सवाल

बलराम


रम्मू काका काफ़ी रात गये घर लौटे तो काकी ने जरा तेज आवाज पूछा---कहां च्लेगे रहन तुमका घर केरि तनकब चिंता फिकिर नांइ रहित हय। कोट की जेब से हाथ
निकालते हुए रम्मू काका ने विलम्ब का कारण बताया।
--जरा ज्योतिषीजी के घर लग चलेगे रहन ।बहू के बारे मा।म पूछय का रहय
रम्मू काका क जबाब सुनकर सूरजमुखी के मानिंद काकी का चेहरा खिल उठा, आशा भरे स्वर में जिज्ञासा प्रकट की
---का बताओ हइन
चारपाई पर बैठते हुए रम्मू काका ने कम्पुआइन भाभी को भी अपने पास बुला लिया और धीरज से समझाते हुए बताया
----शादी के बाद आठ साल लग तुम्हारी कोखि पर शनिचर देवता क्यार असर रहो,ज्योतिषीजी बतावत रहेय। हवन पूजन
किराय कय उइ शनिचर देवता की शान्ति करि दयाहंय। तुम्हंया तब आठ सन्तानन क्यार जोगु हयऽगले मंगल का हवन पूजन होई
ज्योतिषीजी ते हम कहि आये हन ।रम्मु काका एक ही सांस में सारी बात कह गये।
कम्पुआइन भाभी और भइया चर दिन की छुट्टी पर कानपुर से गांव आये थे और सोमवार को उन्हें कानपुर पहुंच जाना था। रम्मू काका
की बात काटते हुए कम्पुआइन भाभी ने कहा।
--हमने बडे-बडे डाक्टरों से चेकाप करवाया है और मैं कभी भी मां नहीं बन सकूंगी।
कम्पुआइन भाभी का यह जबाब सुनकर रम्मू काका सकते में आगये और अपेक्षाकृत तेज आवाज में बोले---
तब्फिरि इसे साल बबुआ केरि दूसरि शादी करि देवे अवहिन ओखेरि उमर का हय तीसय बत्तीस बरसक्यार तव हय
रम्मू काका की यह बात सुनते ही भाभी को क्रोध आ गया तो उन्होंने सही बात उगल दी।
---कमी मेरी कोख में नहीं ,आपके बबुआ के शरीर में है। मैं मां बन सकती हूं पर वे बाप नहीं बन सकते और बोलो।