tag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post8655963674128239105..comments2023-10-16T00:14:00.526-07:00Comments on ज्ञानसिंधु: तीन बदंरभगीरथhttp://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-89208221029989404412012-03-31T05:23:00.326-07:002012-03-31T05:23:00.326-07:00लघुकथा है यह इस बडे देश का कडवा सच हैलघुकथा है यह इस बडे देश का कडवा सच हैप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-20634442043237952472012-03-29T00:06:31.705-07:002012-03-29T00:06:31.705-07:00आठवें दशक के राजनीतिक-चरित्र का चित्रण करती उल्लेख...आठवें दशक के राजनीतिक-चरित्र का चित्रण करती उल्लेखनीय लघुकथा है यह। 'गुफाओं से मैदान की ओर' में ही सुशीलेन्दु की लघुकथा 'पेट का माप' भी है जो सर्वप्रथम 'कात्यायनी'(लखनऊ, संपादक:अश्विनी कुमार द्विवेदी) के जून 1972 अंक में छपी थी। अपनी सूची में शामिल करने योग्य समझें तो देख लें।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.com