tag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post6821374270359301641..comments2023-10-16T00:14:00.526-07:00Comments on ज्ञानसिंधु: गजलभगीरथhttp://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-46557166303876855672010-06-14T06:00:57.010-07:002010-06-14T06:00:57.010-07:00चाँद शेरी की गज़ल अच्छी है।चाँद शेरी की गज़ल अच्छी है।उमेश महादोषीhttps://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-76302758791309980992009-04-22T03:00:00.000-07:002009-04-22T03:00:00.000-07:00एकता का तो दिलों में है मुकाम
वो कलश में हैं न वो ...एकता का तो दिलों में है मुकाम<br />वो कलश में हैं न वो गुम्बद में है<br /><br />न कोई शिकवा न काम रखना<br />सभी से लेकिन सलाम रखना<br /><br />दोनों गज़ले बहुत ही अच्छी है बधाई स्विकरेअ<br /><br />नरेन्द्र चक्रवर्तीनरेन्द्र चक्रवर्तीhttps://www.blogger.com/profile/12815055416222149025noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-79732046823729167422009-03-17T08:45:00.000-07:002009-03-17T08:45:00.000-07:00अब मदारी का तमाशा छोड करआज कल वो आदमी संसद में है(...अब मदारी का तमाशा छोड कर<BR/>आज कल वो आदमी संसद में है(चाँद शेरी)<BR/><BR/>अमल को अपने ग़ज़ल में अपनी<BR/>मुहब्बतों का पयाम रखना (पुरुषोत्तम 'यकीन')<BR/><BR/>यकीनन अच्छी गज़ले.प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-52007300548423192902009-03-16T05:20:00.000-07:002009-03-16T05:20:00.000-07:00बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है..सारे शेर दमदार हैं...शुक्...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है..सारे शेर दमदार हैं...शुक्रिया इस प्रस्तुति का.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-37185055039377923912009-03-15T22:41:00.000-07:002009-03-15T22:41:00.000-07:00अब मदारी का तमाशा छोड करआज कल वो आदमी संसद में है(...अब मदारी का तमाशा छोड कर<BR/>आज कल वो आदमी संसद में है(चाँद शेरी)<BR/><BR/>तुम अपनी यादों की डायरी में<BR/>कहीं तो मेरा भी नाम रखना(पुरुषोत्तम 'यकीन')<BR/><BR/>उक्त शे'र पढ़कर सचमुच मुंह से वाह निकली।<BR/><BR/>दोनों शायरों की ग़ज़लें बहुत अच्छी हैं।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-47726305498416852402009-03-15T22:25:00.000-07:002009-03-15T22:25:00.000-07:00बहुत उम्दा!!पुरुषोत्तम ’यकीन’ जी की गज़ल पेश करने क...बहुत उम्दा!!<BR/><BR/><BR/>पुरुषोत्तम ’यकीन’ जी की गज़ल पेश करने का आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-12062897924414048982009-03-15T21:46:00.000-07:002009-03-15T21:46:00.000-07:00नहीं, न हो,जेरे - आस्माँ घरदिलों के भीतर मकाम रखना...नहीं, न हो,जेरे - आस्माँ घर<BR/>दिलों के भीतर मकाम रखना<BR/><BR/>बहुत अच्छी ग़ज़ल। बहुत दिनों में शेरी की ग़ज़ल पढ़ी। वैसे उन से खुद से सुन चुका हूँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8598379541054488135.post-83229239881036553042009-03-15T21:32:00.000-07:002009-03-15T21:32:00.000-07:00vaakayi inki gazal ke kya kahne ...bahut hi achchh...vaakayi inki gazal ke kya kahne ...bahut hi achchhiअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.com