प्रो अनिता वर्मा
मोहन प्रकाश शिक्षा विभाग मै नियुक्त होने से अति प्रसन्न था । पोस्टिंग छोटे से कस्बे मे हुई थी । हालांकि शहर जैसी सुविधा वहाँ नहीं थी पर आवश्कता की सभी वस्तुएँ उपलब्ध हो जाती थी । ज्वयनिंग के समय स्कूल के पास ही कमरा मिल गया था । थोड़े दिनों बाद उसे लगा कमरा सुविधाजनक नहीं है बदलना उपयुक्त रहेगा । उसका रमेश जी से अच्छा परिचय हो गया था , जो उसके स्टाफ मे थे और वे उसी कस्बे के रहने वाले थे । 'सर ! आप मुझे अcछा सा , रहने लायक कमरा ढूँढ दें तो ठीक रहेगा ।' मोहन प्रकाश ने रमेश जी के घर में प्रवेश करते हुये कहा था । ' रमेश … ओ… रमेश … कहाँ हो ? ' पड़ौसी रामचरण जी ने आवाज लगाते हु्ये कहा था । 'हाँ … कहिये … ताऊजी … मकान मिला ? नये मास्टर जी को चाहिये ।' रमेश जी ने कमरे से बाहर निकलते हये कहा । ' मकान तो मिल जायेगा । मैने बात भी कर ली है … पर ये तो बताओ …नये मास्टर जी किस जात के हैं ?… तुम तो यहाँ का माहौल समझते हो ।'' रामचरण जी ने कमरे के भीतर झाँकते हुए धीरे से कहा था । 'जात तो पता नहीं… पर सरनेम से तो आड़ी जात के लगते हैं ।' रमेश जी अपना स्वर धीमा करते हुये बोले थे । ' अरे ! मैंने तो सोचा सवर्ण होंगे । रहन सहन से तो अच्छे लगते हैं … लेकिन आड़ी जात तो दलित वर्ग मैं आती हैं फिर तो … उनके लिए दुसरी जगह कमरा तलाशना पड़ेगा । ' कहते हुये रामचरण जी निकल गये थे । मोहन प्रकाश भीतर उनके बीच हुये वार्तालाप से हतप्रभ था ।
मोहन प्रकाश शिक्षा विभाग मै नियुक्त होने से अति प्रसन्न था । पोस्टिंग छोटे से कस्बे मे हुई थी । हालांकि शहर जैसी सुविधा वहाँ नहीं थी पर आवश्कता की सभी वस्तुएँ उपलब्ध हो जाती थी । ज्वयनिंग के समय स्कूल के पास ही कमरा मिल गया था । थोड़े दिनों बाद उसे लगा कमरा सुविधाजनक नहीं है बदलना उपयुक्त रहेगा । उसका रमेश जी से अच्छा परिचय हो गया था , जो उसके स्टाफ मे थे और वे उसी कस्बे के रहने वाले थे । 'सर ! आप मुझे अcछा सा , रहने लायक कमरा ढूँढ दें तो ठीक रहेगा ।' मोहन प्रकाश ने रमेश जी के घर में प्रवेश करते हुये कहा था । ' रमेश … ओ… रमेश … कहाँ हो ? ' पड़ौसी रामचरण जी ने आवाज लगाते हु्ये कहा था । 'हाँ … कहिये … ताऊजी … मकान मिला ? नये मास्टर जी को चाहिये ।' रमेश जी ने कमरे से बाहर निकलते हये कहा । ' मकान तो मिल जायेगा । मैने बात भी कर ली है … पर ये तो बताओ …नये मास्टर जी किस जात के हैं ?… तुम तो यहाँ का माहौल समझते हो ।'' रामचरण जी ने कमरे के भीतर झाँकते हुए धीरे से कहा था । 'जात तो पता नहीं… पर सरनेम से तो आड़ी जात के लगते हैं ।' रमेश जी अपना स्वर धीमा करते हुये बोले थे । ' अरे ! मैंने तो सोचा सवर्ण होंगे । रहन सहन से तो अच्छे लगते हैं … लेकिन आड़ी जात तो दलित वर्ग मैं आती हैं फिर तो … उनके लिए दुसरी जगह कमरा तलाशना पड़ेगा । ' कहते हुये रामचरण जी निकल गये थे । मोहन प्रकाश भीतर उनके बीच हुये वार्तालाप से हतप्रभ था ।