Wednesday, January 20, 2010

डॉ कुमार विनोद की गज़लें

कुमार विनोद

डॉ कुमार विनोद की गज़लें

हाल ही के वर्षों में जिन ग़ज़लकारों ने हिंदी ग़ज़ल के राष्ट्रीय परिदृश्य पर बेहद प्रभावी ढंग से अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज की है - युवा ग़ज़लकार कुमार विनोद उनमें से एक हैं। कुमार विनोद की ग़ज़लें हंस, नया ज्ञानोदय, वागर्थ, कथन, कथादेश, कथाक्रम, कादम्बनी, उद्भावना, बया, अन्यथा, प्रगतिशील वसुधा, वर्तमान साहित्य, हरिगन्धा, समावर्तन, समकाकलीन भारतीय साहित्य, आजकल, अक्षर पर्व इत्यादि पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लेखन कर्म में पूरी गम्भीरता और मनोयोग से लगातार सक्रिय, कुमार विनोद की कविताओं का एक संग्रह कविता ख़त्म नहीं होती 2007 में प्रकाशित हो चुका है और अभी हाल ही में आधार प्रकाशन से इनका पहला ग़ज़ल-संग्रह बेरंग हैं सब तितलियाँ प्रकाशित हुआ है। कुमार विनोद के इसी संग्रह बेरंग हैं सब तितलियाँ से कुछ गज़लें...

1

अनकहे शब्दों से मुझको प्यार है

जिनसे खुलने को नया संसार है

पूछ मत, मेरी उदासी का सबब

देख, मेरे हाथ में अख़बार है

रंग ख़ुशियों का किसे मालूम है?

दर्द का भी क्या कोई आकार है?

मैं कहाँ ख़ुद से मिला हूँ दोस्तो!

बीच में शायद कोई दीवार है

पेट भूखे का भरे जिस दिन कभी

दिन वही उसके लिए त्योहार है

लोमड़ी के गुण सभी क्यों गा रहे?

शेर का उजड़ा-सा क्यों दरबार है?

ख़ौफ़ की बारिश मुसलसल हो रही

भीगता-सा हर बशर लाचार है

2

धड़कनो को छेड़ता है साज़ रह-रह कर

कौन मुझको दे रहा आवाज़ रह-रह कर

क्या परिंदों को नहीं लगता ज़रा भी डर

खोलते हैं क्यों हवा के राज़ रह-रह कर

नासमझ कितनी है देखो, बेपरों से भी

माँगती है जिन्दगी परवाज़ रह-रह कर

पाँव मंजिल तक वो पहुँचे, जो सफ़र में थे

एक हम करते रहे आग़ाज़ रह-रह कर

मॉल कल्चर में हर इक छोटी दुकाँ को अब

सीखने होंगे नए अंदाज़ रह-रह कर

3

ख़्वाब आँखों में हमारी इस तरह हँसते हुए

जैसे अँधियारे में दीपक दूर तक जलते हुए

याद उनकी जब कभी आए, हमें ऐसा लगे

धड़कनों की रहगुज़र में, साज़ हों बजते हुए

घर मेरा अपनी जगह है अब भी क़ायम दोस्तो

उम्र गुज़री इस ज़मीं को घूमते-फिरते हुए

वक़्त के दामन को जो ना ठीक से पकड़ा किए

हम उन्हें देखा किए हैं हाथ फिर मलते हुए

इक यही बस बात अपनी दूसरों से है अलग

भीड़ में सबसे अलग हैं, भीड़ में रहते हुए

Friday, January 8, 2010

प्रश्न पत्र


प्रश्न पत्र
कक्षा - दशम विषय - राजनीतिशास्त्र
निर्देश - उत्तर व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित है न कि किताबी ज्ञान पर।
प्रश्न 1)मक्खियाँ गुड पर इकट्ठी होती है इसी तर्ज पर बताइये कि विधायक कहाँ इकट्ठे होते है ? गलत पर टिकमार्क करो
अ)जहाँ सत्ता हो। ब)जहाँ धन हो। स)जहाँ पद हो। द)जहां सिध्दाँत हो।
प्रश्न 2)एक पार्टी से डरकर विधायक दूसरी ्पार्टी में कब जाते है ?गलत पर टिकमार्क करो
अ)जब अपनी पार्टी मलाई नहीं दे पा रही हो ।
ब)जब दूसरी पार्टी मंत्रीपद का आँफ़र दे रही हो ।
स)जब दूसरे की थाली में घी ज्यादा नजर आता हो ।
द)जब अपनी पार्टी आपको सिध्दाँत विरुध्द व्यवहार करती नजर आती हो ।
प्रश्न3) विरोधी दल का नेता सत्तापक्ष में कब काँटा डालता है? गलत पर टिकमार्क करो
अ)जब उसे मुख्यमंत्री की कुर्सी स्पष्ट नजर आती हो ।
ब)जब सत्तापक्ष के कुछ विधायक बिक्री के लिए उपलब्ध हो ।
स)जब सिध्दाँतों की आड लेकर सत्ता पक्ष को पटखनी देनी हो।
द)जब जनता की सेवा करने की भावना उमड पडी हो ।
प्रश्न 4) विधायक या सांसद की बिक्री के विनिमय में क्या आफ़र किया जाता है ? गलत पर टिकमार्क करो
अ)मंत्री पद ब)निगम की अध्यक्षता स)एक करोड़ की थैली द)सामाजिक न्याय
प्रश्न 5) जो विधायक विरोधी दल के नेता या सत्तापक्ष के नेता के जाल में नहीं फ़ँस पाते उन्हें कैसा महसूस होता है? गलत पर टिकमार्क करो
अ)तड्फ़डाते है कि हाय मैं क्यों नहीं फ़ँसा ?
ब)कोई बात नहीं भविष्य में फ़िर ऐसे अवसर आएँगे
स)अच्छा हुआ नहीं गये , नही तो पब्लिक थू-थू करती
द)सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता और नैतिकता भी कोई चीज होती है
प्रश्न 6) कौनसी परिस्थिति दल बदल करने वाले विधायक को रास नहीं आयेगी
परिस्थिति नंबर 1 - दल बदल के बाद अगर सरकार बन जाए और मंत्री पद से नवाजा जाय, तो समझो सात पीढी तर गई।
परीस्थिति नंबर 2 - राष्ट्र्पति शासन लग जाए ,न माया मिली न राम तो समझों फ़ँस गये ।
परिस्थिति नंबर 3 - अपनी पार्टी अलग बनाकर तीन-चार विधायक कों जीता दो फ़िर मगरमच्छों को फ़ाँसते फ़िरों ।
प्रश्न 7) इस रहस्य से पर्दा उठाइयें कि चुनाव के पहले उम्मीदवार हाथ जोडे वोटर के पास जाता है और दयनीय मुद्रा में वोट मांगता है और चुनाव जीतने के बाद लोग उसके घर / आफ़िस के आगे हाथ जोडे खडे रहते है क्यों ? इसमें जनतंत्र का कौन - सा सिध्दांत लागू है ? बताइये
प्रश्न 8) इन्कमटेक्स विभाग या सी बी आई सरकार के किस काम आती है - कामनसेंस से उत्तर दो ,गलत पर टिकमार्क कीजिए।
1)इन्कमटैक्स वसूल करने के लिए ।
2)अपराधियों का पता लगाने के लिए ।
3)राजनैतिक विरोधियों के यहाँ छापा डलवाने के लिए ।
4) सरकार की पोल खोलने वाले पत्रकारों एवं मिडिया संगठन पर छापा डलवाने के लिए या जेल की हवा खिलवाने के लिए ।
5) अपनी ही पार्टी के विरोधियों की बोलती बंद करने के लिए ।
प्रश्न 9) कुत्ता भौंकना कब बंद करता है ?
1)जब हड्डी डाली जाती है ।
2)फ़िर भी बीच - बीच में चिल्लाए तो बोटी डाली जाती है
कृपया बताइये कि विधायक के लिए हड्डी क्या है और बोटी क्या फ़िर भी (हड्डी/बोटी से)न माने तो बताइये किस अस्त्र का उपयोग किया जाता है ।
प्रश्न10) रथ यात्रा के फ़ायदे बताइये -(गलत पर टिकमार्क कीजिए)
अ) वोटरों की निगाह में महारथी हो जाते है।
ब)अखबार ,टी वी में छाये रह सकते है।
स) देश सेवा कर सकते है ।
द) जनजागृति से जनसमर्थन जुटा कर वोट बैंक बढा सकते है ।
प्रश्न 11)हिन्दु धर्म की राजनीति अर्थात हिन्दुत्व की राजनीति के फ़ायदे बताइये
1) हिन्दुओं को कट्टर और मिलिटेंट बनाया जा सकता है ।
2) हिन्दुओं को एक जुट करने के लिए मुस्लिम विरोध कार्ड खेल कर , हिन्दुओं को अपना वोट बैंक बनाया जा सकता है जिससे सत्ता पर काबिज होना आसान होगा ।
3) धृणा की राजनीति के दौर में , जनता के एक हिस्से से कहो हम तुम्हारे साथ है , असुरक्षा की कोई बात नही ।
4)बेरोजगारी,गरीबी व विकास के मुद्दे पृष्ठभूमि में चले जाते है जो राजनैतिक दल को चुनाव हरा सकते है।
5) हिन्दु बहुसंख्यक है , लोकतंत्र में बहुमत की जीत होती है , अत: लोकतंत्र का ढोल जोर से बजाकर हमेशा के लिए सत्ता पर काबिज होने का सपना पाल सकते है।
प्रश्न 12)जाति की राजनीति के फ़ायदे (गलत पर निशान लगाओ)
1) मंडल से कमंडल का मुकाबला किया जा सकता है ।
2)जातिगत वोटों को एक जुट किया जा सकता है ।
3) जाति के नेता राजनेता बन सकते है ।
4) दलित और पिछडी जातियों के साथ चुनावी गणित बैठा कर, सीटे जीतकर राज्य सत्ता पर कब्जा सम्भव है
5)सवर्ण-पिछडों,सवर्ण-दलितों,पिछडे-दलितों को आपस में लडा कर ,बंदर बाट कर सकते है ।
6)जात की राजनीति वास्तव में उनके आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक स्तर में सुधार लाती है।