कटे हुए पंख
रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
एक निरंकुश बादशाह
को मरते समय उसके बाप ने कहा, “बेटा,प्रजा शेर होती है.बादशाह की कुशलता इसी में
है कि शेर पर सवार रहे. नीचे उतरने का मतलब है मौत. इसलिए यह ध्यान रखना कि लोग
गुलामी के आगे कुछ न सोच सकें. जनता में जो सरदार प्रसिद्ध हो जाय उसे रास्ता का
कांटा समझकर हटा देना.” बेटे ने बाप की शिक्षा का पालन किया और सबसे बूढ़े वजीर को हवालात में
बंद कर दिया. बूढा वजीर आज तक सारे शासन का सूत्रधार था.
इसी बीच कहीं से
उड़ता हुआ एक तोता राज्य में आ पहुँचा. उसने चारों दिशाओं में उडकर कहना शुरू कर
दिया , “गुलाम बने रहना सबसे बड़ी कायरता है. चुप रहकर
सहना सबसे बड़ा पाप है.”
प्रजा में
खुसुर-पुसुर शुरू हो गई. तोते की वाणी को देव वाणी समझकर लोग एकजुट होने लगे.
बादशाह को भी सुराग मिल गया. उसने तोते को पकडवाकर पिंजरे में बंद करवा दिया.
क्रुद्ध जनता ने
तोते को मुक्त करने की आवाज उठाई तो बादशाह ने वाहवाही लूटने के लिए उसे पिंजरे से
मुक्त कर दिया. तोता उडकर दूर के वृक्ष पर जा बैठता, इसके पूर्व ही प्रजा बादशाह
की दरियादिली का बखान करती हुई लौट आई.
परन्तु तोता उड़ न
सका. वह धीरे-से पिंजरे के पास बैठ गया था: क्योंकि उसके पंख मुक्त होने से पहले
काट
दिए गए थे.