Thursday, August 20, 2009

क्रेडिट कार्ड

फ्रीज खरीदना है ? पैसे नहीं है ? कोई बात नहीं , चिंता मत कीजिए , हम हैं न आपकी सेवा के लिए हमारा क्रेडिट कार्ड लीजिए, दुकानदार को दीजिए , एक साईन कीजिए और फ्रीज ले आइये । है न सरल तरीका । क्या कहा ? आपके पास आई.सी.आई.सी.आई का क्रेडिट कार्ड पहले से ही है । कोई बात नहीं , आप दूसरा लें, जरूरत आपको फिर भी पड़ सकती है । खुदा न करे बीमार हो जायें , आपरेशन कराना पड़ जाये , सीधे भरती हो जाइये , और निश्चित होकर इलाज कराएं और स्वस्थ होकर घर जायें। तब आप हमें धन्यवाद देंगे कि बंदे ने क्या चीज दी थी - क्या कहते है? , आपके पास तीन -2 क्रेडिट कार्ड हैं अच्छा है , चौथा भी लीजिए । चौथा लेने में कोई पाबंदी नहीं है ।
चले जाइए ! चले जाइए ! बहुत हो गया अभी सांस लेने की जगह बची है , चौथा देकर , तुम मुझे कर्जे में पूरा ही डूबा दोगे । एक दिन ऐसा आयेगा कि मेरी लाश पंखे से झूलती नजर आयेगी ।
क्यों ? क्या हुआ मैं तो तुम्हारी सहुलियत के लिए कह रहा हूँ कूज पर मजे करने हो , हवाई जहाज का सफर करना हो , विदेश यात्रा करनी हो । होटल में रूकना हो , विदेशों में खरीद - फरोख्त करना हो क्रेडिट कार्ड सब दुखों की रामबाण दवा है । रूपया पैसा ले जाने की झंझट नहीं । चोरी -चकारी का डर नहीं । बिंदास विदेशी यात्रा करो । हमारे कार्डधारी को 20 प्रतिशत डिस्काउन्ट मिलता है और हवाई कम्पनियाँ , होटल आदि बम्पर लाटरी भी निकालते है , कहीं आपकी लाटरी लग गई तो क्या कहने , सारे कर्जे दूर , जुहू बीच पर नया बंगला , मर्सडीज बेज गाड़ी इन्तजार करेगी ।
तब तो आप हमें अवश्य धन्यवाद देंगे
‘मेरे बाप , मैं डूब चुका हूँ क्रेडिट कार्ड वाले कई तरह के चार्ज लेकर , कर्ज की राशि पर 40 प्रतिशत तक ले लेते हैं बैंक में जमा कराओं तो साले 6 प्रतिशत देते है । हमें लूटने के क्या -2 इन्तजाम कर रखे है ।
मत लीजिए । बिल्कुल मत लीजिए । मैं नहीं चाहता कि आप क्रेडिट कार्ड लें
वे अपने बैग से दूसरा फार्म निकालते हैं
‘हमारी कम्पनी 0 प्रतिशत ब्याज दर कर्ज देती है मनचाही किश्तों में भुगतान कीजिए ।
लीजिए यहाँ साइन कीजिए पैसा उठाइये और कार ले आईये , एसी. ले आइये जो चाहो सो ले आओ ,
हम आपकी सेवा में हमेशा हाजिर है ।
अब सर यह मत कहिएगा कि 0 प्रतिशत से भी कम ब्याज लें ।
वे हैं हैं कर हॅंसने लगे । वह चिंतित सा सोचने लगा साइन करे या न करे एसी. तो लेना ही हैं सो फाइनेंस कम्पनी के कागजात पर हस्ताक्षर कर देता है ।
आखिर मछली जाल में फँस ही गयी ।

3 comments:

विवेक रस्तोगी said...

सब कांटे में फ़ंसने का खेल है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

वे कर्ज देते हैं, आप की जरूरत के लिए आप की मौज के लिए लेकिन एक नलची लगा देते हैं जिस से आप के शरीर का खून उधर पहुंचता रहता है।

प्रदीप कांत said...

आखिर मछली जाल में फँस ही गयी ।

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फँसनी ही थी।