अदला-बदली
मालती महावर
-क्या आप मुझे गोद लेना पसंद करेंगे ?
यह सुन्कर उस हरिजन व्यक्ति ने सिर से पैर तक उस
नवयुवक को देखा,जिसका यह सवाल था।
-मुझे इसकी क्या आवश्यकता ?मेरा लडका भी तुम्हारी
उमर का है
-नहीं,मेरा मतलब है आप मुझे सिर्फ़ सरकारी कागजों
पर अपना लडका बना लें।मैं ब्राह्मण जाति का हूं,लेकिन मेरे पिता की पेंशन होने से
मुझे आगे पढाने में असमर्थ है,आपका लडका बनने से मुझे हरिजन स्कालरशिप मिल जायेगी।
-मेरा लडका भी कालिज में ऊंची जाति के लडकों के साथ पढने के कारण हीन भावना से ग्रस्त हो गया है
,अक्सर अपने को कोसता है कि इस जाति में जन्म क्यों लिया! ऐसे जीवन से तो मर जाना
अच्छा। तुम अपने पिताजी से
पूछकर आओ कि क्या वे मेरे लडके को
गोद ले लेंगे?
2 comments:
समकालीन भारतीय समाज का यह ज़हरीला सच है। मेरी पसन्द की उत्कृष्ट लघुकथाओं में से एक। अफ़सोस इस बात का है कि मालती जी इस रचना के बाद कोई अन्य मोती लघुकथा को नहीं दे पायीं।
बेहतरीन...!!!
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