Tuesday, October 25, 2016

मै वारी जांवा

मै वारी जांवा
-सीमा जैन
शहर क्या, देश के नामी स्कूल की प्रिंसिपल हमारे घर आई। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं था।
सोशल साइट पर किसी से मैं बात कर रही थी। फोन को एक तरफ पटका और मैडम जी से बात करने बैठ गई।
मैडम जी ने ही बात शुरू की-"क्या करती है आप रिया जी?"
-"जी, एक कम्पनी का एकाउंट्स देखती हूँ।"
-"फिर तो हिसाब की बहुत पक्की होगी आप!"
-"जी मैडम मैंने m.com. में टॉप किया था।"
-"मैंने तो आज देखा, आप लेखिका और कवयित्री भी हैं। कैसे कर लेती हैं ये सब?घर की जिम्मेदारी, काम के बाद कैसे समय निकाल लेती हैं?"
-"क्या करे मैडम, सब करना पड़ता है। अब हुनर है तो..."
-"आपकी कविता, कहानी कई पत्रिकाओं में प्रकाशित होती है। मैंने आज पहली बार आपके अकाउंट को देखा।"
-"अरे, पर आपने कोई कमेंट तो नहीं दिया !"
-"आज सालों बाद अपना अकाउंट खोला था। देखा, आपके तो मित्रों की भरमार है।कमेंट करना तो भूल गई आपके मित्रों की लम्बी लिस्ट देखकर।"
(बहुत अच्छा लगा ये सुनकर की मैडम ने मेरी हैसियत देखी । वो भी समझ गई होंगी कि मै कोई छोटी-मोटी नहीं, बड़ी लेखिका हूँ)
-"अब ये रोज़ का रिश्ता है मैडम, सबसे निभाना पड़ता है तो दोस्त बन ही जाते हैं।"
-"आपके हर दो दिन में बदलते प्रोफाइल फोटो को तो जबरदस्त लाइक मिलते हैं।कभी पेड़ के पीछे तो कभी झरने के नीचे; आप तो अपने बचपन की हो या परिवार की, हर खुशी और याद सबसे साझा करती हैं। यहाँ तक की भोग की थाली की फोटो लगाना भी नही भूलती हैं।"
(आज तो दिल कर रहा था अपने सारे कमेंट्स मैडम जी पर वार दूँ।)
खुशी को छुपाते हुए मैने कहा-"अब ये साइट भी हमारे परिवार जैसी ही हो जाती है।"
-"रिया जी, घर, नौकरी के बाद अपने हुनर को वक्त देना एक बात है और सोशल साइट के बगैर सांस भी न लेना दूसरी बात है। इस सब के बीच में बच्चों का भविष्य आता है, उसको सिर्फ लाइक नहीं उसपर कमेंट करना भी जरूरी है।"
(ये अचानक बात करते-करते मैडम जी का मूड़ क्यों बदल गया?)
-"रिया जी, आपने ये नहीं पूछा कि मै यहाँ आई क्यों? मैं यहाँ आपकी बेटी, जो सातवीं में मेरी बेटी की ही कक्षा में है, उसके बारे में बात करने आई हूँ।"
-"क्यों, क्या हो गया मेरी पारुल को? वो तो शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ती है।"
-" स्कूल चाहे जैसा हो, आपकी जिम्मेदारी किसी भी हालात में कम नहीं हो सकती है! ये देखिये पारुल का वीडियो जो उसने मेरी बेटी को भेजा है। फ़र्क सिर्फ इतना ही है कि वो ये फोटो आपसे छुपाएगी और आप अपने फोटो...."
अब मैडम के हाथ से मैंने फोन छीन लिया और वीडियो देखकर मेरी आँखों से आँसू बहने लगे।अब मुझे मिलने वाले लाइक और आंसुओ में जंग शुरू हो गई।अकाउंट्स में टॉप करने वाली माँ, अब ये हिसाब ठीक से रख पायेगी क्या?
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2 comments:

प्रदीप कांत said...

-" स्कूल चाहे जैसा हो, आपकी जिम्मेदारी किसी भी हालात में कम नहीं हो सकती है! ये देखिये पारुल का वीडियो जो उसने मेरी बेटी को भेजा है। फ़र्क सिर्फ इतना ही है कि वो ये फोटो आपसे छुपाएगी और आप अपने फोटो...."

Vibha Rashmi said...

सोशलसाइटस से जुड़ना आज का लाइफ़स्टाइल और उससे जनित समस्याएँ । खोखलेपन व खुलेपन की पोल खोलती कथा । बधाई सीमा ।