Sunday, October 25, 2020

 छोटी कथाओं की बड़ी बात 15

सन्देश
आलोक भारती
चिड़िया ने कली के भीतर चोंच डालकर उसे हिलाया. ‘उफ्फ ! मेरा सर्वस्व ही चूस लिया !’ कलि ने वेदना प्रकट की. ‘इतनी दूर से तेरे प्रियतम का सन्देश लाई हूँ, और मैं अपना मुँह भी मीठा न करूँ ?’ चिड़िया मुस्कराई और उड़ गई.
अहंकार
आलोक भारती
एक महाशय ने दियासलाई की डिबिया खोली. तीलियाँ खिलखिला पड़ी. एक तिल्ली ने ऐंठकर कहा, ‘मैं कितनी शक्तिशाली हूँ, मेरे एक इशारे पर आग की चिंगारियां निकलती है. मैं क्षणभर में सभी को भस्म कर सकती हूँ.’ महाशय ने सहजता से कहा, ‘ऐ तिल्ली ! तेरा इतराना ठीक नहीं है. किसी को जलाने से पहले तुम्हें खुद भी जलना पड़ेगा. खुद भस्म होकर ही तुम दूसरों को भस्म कर सकोगी. तेरा जलना सभी देखेंगे परन्तु तू किसी का जलना नहीं देख सकेगी. तेरा तो अस्तित्व ही भस्म हो जायगा ...’


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