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उसकी
मौत
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मधुदीप
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लाल
चौक के दायीं ओर दुकन के सामने बरामदेमें एक लाश पडी थी आते- जाते
लोग दो पल को कौतूहलवश वहां ठहर रहे थे।
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;क्या हुआ कैसे
हुआ पूछने पर कोई स्थल दर्शक अपनी आवाज में दर्द घोलता है -राह
चलते इस व्यक्ति को हार्ट अटैक हुआ।
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कोई
कुछ करे इससे पहले ही इअसने यहां दम तोड दिया।
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्काफ़ी
समय बीत रहा है । एक विलाप करती हुई भीड लाश के चारों ओर एकत्रित होती जा रही है। छाती
पीटकर विलापनेवाले
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लाश
के निकट जोर-जोर से रोनेवाले,उनके
पीछे और उदास चेहरा लटकाए अन्त में ! एक चक्रव्यूह-सा बनता
जारहा है।
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शायद
यह मृतक की पत्नी है जो छाती पीटती हुई विलाप कर रही है -हाय रे ! अब इन कच्ची कोंपलों को कौन सभालेगा !
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निकट
ही
मृतक का बीस वर्षीय लडका मुंह लटकाए सोच रहा है -डैडी जिन्दा रहते तो अगले वर्ष उसकी बी ए पूरी हो जाती।
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अब न
जाने---"।
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छोटा
लडका उदासी में डूब रहा है
-पापा ने वायदा किया था कि इस वर्ष पास होने पर
वे उसे साईकल ला देंगे मगर अब--'
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दूर उस कोने में खडा वह व्यक्ति जो मृतक को घूरते
हुए
पहचानने का प्रयास कर रहा है ,चाय वाला है ।उसके मन में झल्लाहट
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उभर
रही है-साला ! बाप की दुकान स्मझ कर रोज चाय डबल रोटी खाता था। बीस रुपये है पूरे क्या अब इसकी मिट्टी से वसूल
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करूं
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सब अपने
अपने में उलझे हुए है । शाम करीब आती जा रही है । मुर्दा चीख रहा है कि कोई उसे उठाकर
श्मशान तक ले जाने
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की भी
तो सोचे
!
1 comment:
20 रुपये की टीस ज़्यादा भारी है
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