घर बिना छ्त बनाये जायेंगे ,
लोग जिनमें बसाये जायेंगे ।
आपका राज हो या उनका हो,
हम तो सूली चढ़ाये जायेंगे ।
साल - दर -साल बाढ़ आयेगी ,
आप दौरों पे आये जायेंगे ।
बूढ़े बरगद पे देखना जाकर ,
अब भी दो नाम पाये जायेंगे ।
हम तो होते रहेंगे यूहीं हवन
लोग उत्सव मनाये जायेंगे ।
4 comments:
सशक्त रचना। बहुत गजब कहा है-
आपका राज हो या उनका हो,
हम तो सूली चढ़ाये जायेंगे ।
आज पहली बार आप के ब्लाग पर नजर गई। भगीरथ जी, बहुत ही मजबूत रचना है। अखिलेश जी से ही सुनेंगे तो और मजबूत हो उठेगी। चांद को भी प्रकाशित कर चुके हैं। भाई ब्लाग बहुत अच्छा बनाया है। आप को बहुत बधाइयाँ। देर से ही सही अपने इलाके के लोग इस माध्यम पर जुटने लगे हैं। अब एक ब्लागर मीट की तैयारी करनी पड़ेगी।
आपका राज हो या उनका हो,
हम तो सूली चढ़ाये जायेंगे ।
आगे कुछ कहने को बचता नहीं
अच्छी रचना है।
Post a Comment