भारत में ऐसे नेता है , जिन्हें महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा जाना कुछ हजम नहीं होता , उनका कहना है - भारत माँ है , गाँधी तो उसके सपूत थे , पिता होने का प्रश्न ही कहां है ? वे पक्के हिन्दू थे और मुसलमानों का पक्ष लेते थे , इसलिए गोड़से उनसे बहुत नाराज रहा करता था लेकिन गोड़से अंग्रेजों से नाराज नहीं था , महात्मा गाँधी से नाराज था , वह देशभक्त था और देश के लिए उसने राष्ट्रपिता की जान ले ली और बदले में फाँसी पर झूल कर शहीद हो गया आज भी उसके कई हमखयाली उसकी शहादत से तुलना करते हैं यह देश भक्ति भी कितनी कुत्ती चीज है कि राष्ट्रपिता को गोली मारकर देशभक्त कहलाया जाए , आज भी ऐसे देशभक्त हैं , जो गोड़से को ठीक मानते हैं , बल्कि बिल्कुल ठीक मानते हैं अगर ऐसे देशभक्तों के हाथों मे सत्ता आ गई तो गोड़से सबसे बड़े देशभक्त व शहीद माने जायेंगे , हो सकता है कुछ सालों बाद संसद में उनके चित्र का अनावरण भी हो ।
5 comments:
क्या संसद में जिनके चित्र का अनावरण हुआ है, वह सब इस के योग्य थे?
सुरेश जी सही कह रहे हैं संसद में जिनके चित्र लगे हैं उनमे से कुछ इसे लायक नही हैं
अभी कुछ साल पहले गोडसे के गुरु का ही चित्र लगा था
हो सकता है कल गोडसे का भी लग जाय
समयानुसार और अपनी सोच अनुसार उन्होनें जो किया सो किया।लेकिन आज सवाल यह है कि हम क्या करे?जिस से देश को सही दिशा मिल सके।
आपने और "रौशन खयाल" ने अपने महान विचार प्रकट कर ही दिये हैं… बस एक बात बता दीजिये कि संसद में बैठे 545 गधों में से 400 पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, उनके बारे में क्या खयाल है? उनके चित्रों से तो गोड़से का चित्र लाख टके से बेहतर ही होगा… जिसमें इतनी हिम्मत थी कि उसने जो किया उसे सीना ठोककर स्वीकार तो किया और मुकदमा सुनने वाले जज को भी अपना कायल कर लिया… वह कम से कम "सेकुलरों" जैसा भगोड़ा और देशद्रोही तो नहीं था…
हम तो गांधी चौथे बंदर हैं, खुद के दिमाग से सोचना भी बन्द कर दिया है.
काश रौशन कुछ भी कहने से पहले सावरकर के बारे में कुछ समझने की कोशिश भी करते!
सोचते कि अंग्रेजों ने सावरकर को क्यों समुन्दर पार कालापानी में रखा था और क्यों गांधी को आगाखां के महल में?
क्यों भगतसिंह को फांसी दी गई और क्यों ...
अगर अधिक न पढ़ सकें तो गोडसे का अदालत में दिया बयान ही पढ़े जिसे कांग्रेसी सरकार ने दशकों बैन करके भारत की जनता से छिपाये रखा
हो सके तो नाइन आवर टू रामा देखें जिसे "चाचा नेहरू" ने भारतीय अवाम से छिपा रखा. मिल जायेगी इन्टरनेट पर.
हम सोचने वाले इन्सान हैं या दिमाग, आंख, कान, मुंह बन्द करके रहने वाले बन्दर हैं?
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