श्याम बिहारी श्यामल
चमरू की नवोढ़ा पतोहू गोइठे
की टोकरी माथे पर लिए सामने वाली सड़क से जा
रही थी.रघु बाबू ने पत्नी से कहा –देखो मैंने कहा था न कि गरीबों की बहुओं
को कोई क्या देखने जायगा ! वह तो दो
चार दिनों में गोइठा चुनने ,पानी भरने के लिए निकलेगी ही . यह बात चमरू की पतोहू ने सुन ली .बात उसे लग गयी .
-हाँ बाबूजी ,हम लोग कोई हराम का तो खाती नहीं हैं कि महावर लगाकर घर में बैठी रहूँगी .काम करने पर ही पेट भरेगा . चमरू की पतोहू ने रघु बाबू को सुनाकर कहा और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ गई .
रघु बाबु सिठियाये से उसे जाते देखते रह गए .
-हाँ बाबूजी ,हम लोग कोई हराम का तो खाती नहीं हैं कि महावर लगाकर घर में बैठी रहूँगी .काम करने पर ही पेट भरेगा . चमरू की पतोहू ने रघु बाबू को सुनाकर कहा और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ गई .
रघु बाबु सिठियाये से उसे जाते देखते रह गए .
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