Thursday, March 26, 2020

छोटी कथाओं की बड़ी बात -1


पूर्वाभास

अर्चना तिवारी 

“क्या हुआ!!! तू इतनी डरी हुई क्यों है?” 
“शायद भैया ने मुझे देख लिया है!!!”          
"तो क्या हुआ?”      
“बड़े दिनों बाद कल रात फिर पिताजी और भैया आपस में खुसर-पुसर कर रहे थे|”  
“तो इसमें इतना डरने की क्या बात है?”    
“क्योंकि ऐसे ही वे दोनों  उस रात भी खुसर-पुसर कर रहे थे, और अगले दिन दीदी का एक्सीडेंट हो गया था|”

बोझ

अर्चना तिवारी 

सुबह नाश्ते टेबल पर बहन के बाजू को देखते ही उसने चीखते हुए पूछा, “कहाँ थी कल रात!!!”   “चीख क्यों रहे हो भैया!!! अपनी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में और कहाँ!!!”                             
उसने एक जोरदार चांटा बहन के गाल पर जड़ तो दिया, किन्तु कल रात मुखौटा डिस्कोथेक के रूम का वह वाकया और अपनी पार्टनर के बाजू पर बना टैटूनुमा बिच्छू, उसे डंक पर डंक मारे जा रहे थे|       

2 comments:

अर्चना तिवारी said...

बहुत-बहुत शुक्रिया भगीरथ जी।

मेरी लघुकथाएं मेरे ब्लॉग 'पंखुड़ियाँ' पर देखी जा सकती हैं।
https://archanat18.blogspot.com/?m=1

Minni mishra said...

बहुत ही बढ़िया