कायरता- भगवती प्रसाद द्विवेदी
-एक अदने से धोबी की बातों
में आकर राम ने सीता को वनवास क्यों दिया?
-क्योंकि वे प्रजा की बातों की कद्र करते थे, पुरुषोत्तम थे.
–गौतम ने अहिल्या को अभिशापित कर, पत्थर क्यों बनाया?
-क्योंकि वह इन्द्र के द्वारा छली गई थी.
–मगर इसमें उसका क्या दोष था.
-क्योंकि उसने पाप किया था |
–यह क्यों नहीं कहते कि राम और गौतम दोनों इस मामले में कायर थे. उनमें समाज से लड़ने की हिम्मत नहीं थी. नारी को उत्पीडित करना ही उन दोनों ने सुगम समझा. तभी तो गर्भवती सीता जंगल की खाक छानती रही और अहिल्या पत्थर बनी पड़ी रही. मगर गौतम महर्षि ही बने रहे और राम पुरुषोत्तम!
-क्योंकि वे प्रजा की बातों की कद्र करते थे, पुरुषोत्तम थे.
–गौतम ने अहिल्या को अभिशापित कर, पत्थर क्यों बनाया?
-क्योंकि वह इन्द्र के द्वारा छली गई थी.
–मगर इसमें उसका क्या दोष था.
-क्योंकि उसने पाप किया था |
–यह क्यों नहीं कहते कि राम और गौतम दोनों इस मामले में कायर थे. उनमें समाज से लड़ने की हिम्मत नहीं थी. नारी को उत्पीडित करना ही उन दोनों ने सुगम समझा. तभी तो गर्भवती सीता जंगल की खाक छानती रही और अहिल्या पत्थर बनी पड़ी रही. मगर गौतम महर्षि ही बने रहे और राम पुरुषोत्तम!
दक्षिणा –भगवती प्रसाद द्विवेदी
ट्यूशन न पढने की वजह से
एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य का चहेता शिष्य नहीं बन पाया. मगर परीक्षा में अच्छे अंक
पाने के लिये एकलव्य ने एक अनूठी तरकीब खोज निकाली. परीक्षा के दिन रास्ते में
उसने गुरूजी को रामपुरी छुरे की धार दिखा दी. फिर तो परीक्षा भवन में होने के
बावजूद गुरूजी की घिग्घी बंधी की बंधी रही और शिष्य के इशारे पर वह उसे मनचाहे
पुरजे थमाते रहे.
परीक्षा का परिणाम घोषित होते ही द्रोण ने मुस्कान बिखेरी, ‘बेटा एकलव्य ! मेरी दक्षिणा!’
एकलव्य ने बेहयाई से हंसते हुए दाएं हाथ का अंगूठा यूँ दिखा दिया मानों यह अंगूठा न दिखाकर फिर से रामपुरी की धार दिखा रहा हो. गुरूजी के ललाट पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आयीं.
परीक्षा का परिणाम घोषित होते ही द्रोण ने मुस्कान बिखेरी, ‘बेटा एकलव्य ! मेरी दक्षिणा!’
एकलव्य ने बेहयाई से हंसते हुए दाएं हाथ का अंगूठा यूँ दिखा दिया मानों यह अंगूठा न दिखाकर फिर से रामपुरी की धार दिखा रहा हो. गुरूजी के ललाट पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आयीं.
1 comment:
दक्षिणा लघुकथा शानदार ।
आज के गुरु-शिष्य की मानसिकता के ऊपर तीक्ष्ण कटाक्ष ।
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