Monday, December 21, 2015

आग्रह


सतीश राठी
सुनो ,माँ का पत्र आया है .बच्चों सहित घर बुलाया है ---कुछ दिनों के लिए घर हो आते है .बच्चों की
छुट्टियां भी है .पति ने कहा .
मैं नहीं जाऊँगी उस नरक में सड़ने के लिए .फिर तुम्हारा गाँव तो गन्दा है ही ,तुम्हारे गाँव के और घर
के लोग कितने गंदे है !पत्नी ने तीखे और चिडचिडे स्वर में प्रत्युतर दिया .
मगर तुम पूरी बात तो सुनो .पति कुछ हिसाब लगाते हुए बोले ,माँ ने लिखा है कि बहू आ
जायगी तो बहू को गले की चेन बनवाने की इच्छा है.इस बार फसल भी अच्छी है .
अब आप कह रहे हैं और मान का इतना आग्रह है तो चलिए ,मिल आते हैं और हाँ –फसल

अच्छी है तो मांजी से कहकर दो बोर गेहूं भी लेते आएँगे . पत्नी ने उल्लास के स्वर में कहा .