Sunday, December 14, 2008

ग्लोबल विलेज

गाँधीजी के आर्थिक स्वराज का सपना अब साम्राज्यवाद की गोद में खेल रहा है हमें बताया जा रहा है कि इस देश की समस्याएँ साम्राज्यवाद ही हल कर सकता है । क्योंकि 21 वीं सदी में साम्राज्यवाद ने मानवीय चेहरा प्राप्त कर लिया है। पूँजीवाद की विश्व विजय को वैश्वीकरण कहा जा रहा है इसका नेतृत्व जी-8 के देश कर रहे है, इन देशों का सिरमौर संयुक्त राज्य अमेरिका है । विश्व बैंक , अन्तर्राष्टीय मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन के जरिये जी-8 के देश पूरे विश्व में मुक्त विचरण (व्यापार) की सुविधा के लिए दबाव बना रहे है , विदेशी पूँजी ,विदेशी तकनीक ,विदेशी कर्ज और विदेशी वस्तुएँ भारत को कुछ ही वर्षो में जापान बना देगी और फ़िर अमेरिका ,बस उन्हे थोडी सुविधाएँ दीजिए ,उनकी सलाह (शर्ते) मानिए प्रतिबन्ध हटा लीजिए फ़िर देखिए भारत स्वर्ग की सीढियाँ चढने लगेगा इस ग्लोबल विलेज में सबके लिए सुख -सुविधा होगी ,गरीबी, बेरोजगारी व अभाव विश्व के नक्शे से मिट जायेंगे एक नयी सभ्यता करवट लेगी। मुक्त बाजार के पैरोकारों का यह सपना सचमुच पूरा होने वाला है ,बस इनका मार्च मत रोकिए ।
लेकिन हमारी जी-8 के देशों से एक ही विनती है कि हमने तो प्रतिबंध हटा ही लिए है और बाकी बचे भी आज नहीं तो कल हटा ही लेंगे ,लेकिन आप भी तो अपने देश में हमारे प्रवेश पर लगे प्रतिबंध हटाएँ , श्रम को भी तो मुक्त विचरण करने दें , फ़िर देखते हैं विश्वविजयी तिरंगा प्यारा कहाँ-कहाँ नहीं फ़हराता तब 2 अक्टूबर के दिन आर्थिक स्वराज्य का सपना हम भारत में नहीं जी-8 के देशों मे देखेंगे । आमीन्

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