छोटी कथाओं की बड़ी बात 15
Sunday, October 25, 2020
Saturday, October 24, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात -14
शिलान्यास –अशोक मिश्र
हरिजनों के आवास के लिए
बनायीं गई ‘इंदिरा आवास कॉलोनी’ बाढ़ का एक धक्का भी न झेल पाई और अब वहां पर किसी
ईट पत्थर का नामोनिशान तक न रह गया था. फिर भी वहां पर एक दीवार खड़ी थी अपनी पूरी
मजबूती के साथ. बाढ़ भी जिसका बाल बांका न कर सकी थी. वह थी शिलान्यास के
पत्थरवाली दीवार. जिस पर लिखा था-प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित देश की
खुशहाली एवं तरक्की के लिए.
आँखें –अशोक मिश्र
निर्दोष युवक को जब फांसी होने लगी तो जेलर ने उसकी अंतिम इच्छा पूछी, “तुम्हारी मरने से पूर्व कोई अंतिम इच्छा हो बताओ!” “क्या आप पूरी कर सकेंगे ?”
Thursday, September 24, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात -13

गाँधी भक्त बन्दर- गिरीश पंकज
देश आजाद हुआ, तो गांधीजी ने अपने तीनों बंदरों से कहा- ‘जाओ देश सेवा करो, मगर ध्यान रहे, बुरा मत करना, मत कहना और मत सुनना.’ तीनों ने गांधीजी का कहना माना और बुरा करने, देखने एवं सुनाने के लिए निजी सहायक रख लिए और निश्चिन्त होकर राजनीति करने लगे.

जेंटलमेन प्रोमिस- गिरीश पंकज
पिछले साल की तरह इस बार भी ‘वे’ बाढ़ की तबाही का हवाई सर्वे कर रहे थे। लोग बह रहे हैं, मरे पड़े हैं, घर डूब गए है। ऊपर से ऐसे दृश्य निहारो,
तो बड़ा रोमांचक होता है. मीडिया के सामने आंसू बहा कर वे घर पहुंचे
तो पत्नी बोली, ”आप बड़े वो हैं। इस बार भी अकेले-अकेले उड़ गए”। बच्चे बोले, ”हम भी एन्जॉय करते पॉप”। महोदय ने शरमाते हुए कहा, ”अरे, डोंट बादर, तबाही तो आती रहती है। अगली बार साथ-साथ
चलेंगे। इट इज जेंटलमेन प्रोमिस।”
संतुष्ट हो कर पत्नी लेडीज़ क्लब के लिए निकल गयी और बच्चे ‘लाँगड्राइव’ पर।
Tuesday, June 30, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 12
पापी पेट
Thursday, June 18, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 11
पार्क की बेंच पर बैठे एक सेठ, अपने पालतू 'टॉमी' को ब्रेड खिला
रहे थे। पास ही गली का एक आवारा कुत्ता खड़ा दुम हिला रहा था।Sunday, May 31, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 10
बिट्टू के पिताजी के विद्यालय जाने के समय ही
किसी कार्यवश उनकी पड़ोसन आ गई | ‘आज
बिट्टू के पापा अवकाश पर हैं क्या?’ पड़ोसन ने बिट्टू की माँ से सवाल किया | ‘नहीं तो |विद्यालय जाने के लिए ही निकले
हैं|” बिट्टू की माँ ने कहा | ‘आज खाली हाथ जा रहे हैं? लंच बॉक्स नहीं लिए हैं ?’ पड़ोसन ने एकसाथ दो
सवाल दाग दिए| 'जब से विद्यालय में सरकार ने छात्रों के लिए दोपहर में भोजन की
शुरुआत की है, उन्होंने लंच बॉक्स ले जाना बंद दिया है|’ पड़ोसन को आश्वस्त करती
बिट्टू की माँ ने कहा|Wednesday, May 20, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 9
सार्वजनिक कार्यालय में
काउंटर पर कर्मचारियों की लम्बी कतार. किसी के सामने पट्टिका नहीं. न जाने इनमें
रत्ना कौन है. पूछने पर एक कर्मचारी ने बताया, पकौड़े-सी नाक, बिल्ली की सी आँखें,
हाथी के से कान और ऊंट के से होंठों वाली महिला रत्ना है. मैं कुछ आगे बढ़ी. दिमाग में बिल्ली, ऊंट, हाथी के चित्र बनने –बिगड़ने लगे
तो झुंझलाहट हुई.एक अन्य कर्मचारी से पूछताछ की. उत्तर मिला, “सबसे भोली सूरतवाली
स्त्री को रत्ना समझिए.” मस्तिष्क में रह-रह कर प्रश्न उठ
रहा था. रत्ना के बहाने इन दोनों ने अपनी पहचान नहीं बता दी? Monday, May 11, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 8
Friday, May 1, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 7
Saturday, April 25, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 6
Wednesday, April 22, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 5
-क्योंकि वे प्रजा की बातों की कद्र करते थे, पुरुषोत्तम थे.
–गौतम ने अहिल्या को अभिशापित कर, पत्थर क्यों बनाया?
-क्योंकि वह इन्द्र के द्वारा छली गई थी.
–मगर इसमें उसका क्या दोष था.
-क्योंकि उसने पाप किया था |
–यह क्यों नहीं कहते कि राम और गौतम दोनों इस मामले में कायर थे. उनमें समाज से लड़ने की हिम्मत नहीं थी. नारी को उत्पीडित करना ही उन दोनों ने सुगम समझा. तभी तो गर्भवती सीता जंगल की खाक छानती रही और अहिल्या पत्थर बनी पड़ी रही. मगर गौतम महर्षि ही बने रहे और राम पुरुषोत्तम!
परीक्षा का परिणाम घोषित होते ही द्रोण ने मुस्कान बिखेरी, ‘बेटा एकलव्य ! मेरी दक्षिणा!’
एकलव्य ने बेहयाई से हंसते हुए दाएं हाथ का अंगूठा यूँ दिखा दिया मानों यह अंगूठा न दिखाकर फिर से रामपुरी की धार दिखा रहा हो. गुरूजी के ललाट पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आयीं.
Monday, April 20, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 4
आलोक
कुमार सातपुते
मध्यरात्रि एक ट्रक ड्राइवर स्पीड से ट्रक चला रहा था। नज़दीक किनारे बायीं ओर उसे एक सायकल सवार जाता हुआ दिखा। अचानक उसके समक्ष एक गाय आ गयी। उसने गाय को बचाने के लिऐ अपनी बायीं ओर कट मारा। सायकल सवार अब ट्रक की चपेट में आ गया। ट्रक ड्राइवर ने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया कि आज वह गो-हत्या के पाप से बच गया।
वह पार्टी से होकर रात में देर से
घर पहुँचा। सुबह पत्नी ने करवा-चौथ व्रत से
सम्बन्धित पूजा के सामानों की सूची दी थी, और साथ में हर हाल में उन सामानों
को लाने की हिदायतें भी..., पर काम की अधिकता से वह सामान
लाना भूल गया, सो वह डरते-डरते अपने बेडरूम में
पहुँचा। पत्नी बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने अपराधबोध से कहा- ‘सॉरी डार्लिंग, आज मैं तुम्हारे कहे सामानों को
नहीं ला पाया।’Monday, April 13, 2020
छोटी कथाओं की बड़ी बात 3
“खूब खाती हूँ. चाय के साथ काजू बादाम लेती हूँ. दिन में दो बार जूस लेती हूँ. पेटभर रोटी खाती हूँ.जब-तब मार और गाली भी सहन करती हूँ.” “यह क्यों?” “सिरफिरी ! औरत होकर औरत से पूछती है, क्यों?”
















